(Influencer Media) : उत्तराखंड की हसीन वादियों में, जहाँ प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य बिखरा पड़ा है, वही वहां रहने वाले लोगों का जीवन अनेक चुनौतियों से भरा पड़ा है। यहां के गाँवों में रहने वाले लोगों की आजीविका मुख्यतः खेती, पशुपालन, मजदूरी और कुछ क्षेत्रों में पर्यटन पर ही निर्भर हैं। इसलिए ज़रूरी है कि पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक कृषि सुविधाएं और एग्रो टूरिज्म को विकसित किया जाए। इस दिशा में काम करते हुए एक सरकारी अधिकारी ने किसानों को कीवी की खेती सिखाने का निर्णय लिया।
पौड़ी गढ़वाल के अणां गांव के मूल निवासी और वर्तमान में डिप्टी कमिश्नर (GST), रजनीश सच्चिदानंद यशवस्थी ने 2009 में नौकरी लगने के बाद अपने गाँव और आसपास के अन्य किसानों का एक समूह बनाकर खेती में नई शुरुआत की। आज, वह कई किसानों को कीवी की खेती से जोड़ चुके हैं। उन्होंने पिछले साल ही अपने कृषि मॉडल को टिकाऊ बनाने के लिए एग्रो टूरिज्म की भी शुरुआत की है ।
रजनीश अपने गांव अणां गाँव में ‘अनत्ता होमस्टे’ भी संचालित कर रहे हैं , होमस्टे गांववालों की मदद से बनाया गया है , चार कमरों वाले इस होमस्टे में मीटिंग एरिया, बाथरूम, मिट्टी का प्लास्टर, उत्तराखंडी चित्रकला, लाइब्रेरी, पारंपरिक बर्तन और फर्नीचर के साथ टेंट हाउस भी हैं। यहाँ ऑर्गेनिक किचन गार्डन से ताज़ी सब्जियों से बने व्यंजन मेहमानों को परोसे जाते हैं। 2016 में बने इस होमस्टे में 2018 के बाद से देश-विदेश से लोगों का आना जाना लगा हुआ है।
रजनीश का मानना है कि एग्रो टूरिज्म पहाड़ी क्षेत्रों के विकास का ज़रिया बन सकता है। “यह सिर्फ एक होटल नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से हम गाँववालों को रोजगार देने की कोशिश कर रहे हैं। यहां मिलने वाली ज्यादातर चीजें स्थानीय किसानों द्वारा उगाई जाती हैं ।
रजनीश बताते हैं, “2009 में जब मेरी पोस्टिंग उत्तराखंड में हुई, तब मैंने पहाड़ में बसे लोगों के लिए कुछ करने का फैसला किया।” इसके बाद, मैंने छोटे किसानों के समूह बनाकर खेती की नई तकनीकों को अपने इलाके में संचालित करना शुरू शुरू किया। हमने खेतों में विशेष रूप से कीवी की खेती पर ध्यान केंद्रित किया और 2013 में SAHARA (Sustainable Advancement of Hilly Rural Area) नाम से एक ग्रुप बनाया, जिसमे 500 किसान जुड़े हुए हैं ।
कीवी की खेती के बेहतर तरीकों को जानने के लिए, हम हिमाचल के किसानों से मिले, कई कृषि विश्वविद्यालयों का दौरा किया और न्यूजीलैंड में बागवानी से जुड़े अपने मित्रों से संपर्क कर सलाह ली । “हमने कई किसानों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए और बागेश्वर के एक गाँव में मेरे मित्र की ज़मीन पर भी काम शुरू किया। हमे पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में बागेश्वर जिला कीवी उत्पादन के लिए मशहूर हो जाएगा।” तथा इस साल 2024 में 200 टन से अधिक कीवी उत्पादन की उम्मीद है। पहाड़ी इलाकों में एग्रो टूरिज्म ही गांवों के विकास का ज़रिया बन सकता है।
यह कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपनी जमीन और समुदायों के विकास के लिए काम करना चाहते हैं। रजनीश सच्चिदानंद यशवस्थी ने दिखाया है कि कैसे दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और रचनात्मक सोच से हम सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।