Sunday, April 20, 2025
HomeSocialIIM बैंगलोर की प्रतिभा कृष्णैया ने चम्पावत में बनाया "हिमालयन ब्लूम्स"...

IIM बैंगलोर की प्रतिभा कृष्णैया ने चम्पावत में बनाया “हिमालयन ब्लूम्स” सामाजिक उद्यम

(Influencer Media) : सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की डिग्री और लाखों की सैलरी वाली नौकरी, शहरी जीवन की चकाचौंध में प्रतिभा कृष्णैया की ज़िंदगी किसी परीकथा से कम नहीं लगती थी। मगर उनके दिल में बचपन से पल रही एक ख्वाहिश उन्हें बेचैन कर रही थी – गांव की सादगी में जीवन बिताने की चाह। इसी चाहत ने उन्हें शहर की भागदौड़ से दूर, उत्तराखंड में चम्पावत जनपद के एक छोटे से गांव खेतिखान का रुख करने को प्रेरित किया।

यह कोई आवेश में लिया गया फैसला नहीं था। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ‘यूथ फॉर इंडिया’ फेलोशिप ने उन्हें एक सुनहरा अवसर प्रदान किया – न सिर्फ अपने सपनों को जीने का, बल्कि दूसरों की मदद करने का भी। इसी फेलोशिप के ज़रिए वे खेतिखान पहुंचीं, जहां उनकी मुलाकात हुई उन मेहनती महिलाओं से, जिनकी उंगलियां बुनाई और क्रोकेट की जादूगरी से भरी थीं। प्रतिभा ने इस कला को आय का जरिया बनाने का विचार किया।

शुरुआती चुनौतियां कम नहीं थीं। महिलाओं को अपनी कला पर विश्वास नहीं था, उन्हें अपने हुनर को बेचकर कमाई करने का कोई अनुभव नहीं था। प्रतिभा ने उन्हें प्रोत्साहित किया, उनकी कला को सम्मान दिलाने का वादा किया। धीरे-धीरे, एक स्वयं सहायता समूह का गठन हुआ, जिसका नाम रखा गया ‘हिमालयन ब्लूम्स’। इन महिलाओं के हाथों से बने खूबसूरत उत्पादों की पहली प्रदर्शनी बैंगलोर में आयोजित की गई, और देखते ही देखते सारा माल बिक गया। यह इन महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत थी, उनकी कला को पहचान मिली, उनका आत्मविश्वास बढ़ा।

आज, हिमालयन ब्लूम्स 40 से अधिक गांवों की 200 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रहा है। उनके बनाए स्कार्फ, बैग, कपड़े न सिर्फ भारत के बड़े शहरों में बल्कि अमेरिका और जापान जैसे देशों में भी बिक रहे हैं। यह सब मुमकिन हुआ प्रतिभा की दृढ़ इच्छाशक्ति, उनकी दूरदर्शिता, और उन महिलाओं के अटूट विश्वास की वजह से।

प्रतिभा की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। वे हिमालयन ब्लूम्स की कमाई का एक छोटा सा हिस्सा ही अपने लिए रखती हैं, बाकी सब महिलाओं की बेहतरी और उद्यम के विकास में लगा देती हैं। उनका मकसद पैसा कमाना नहीं, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। वे उन्हें न सिर्फ आर्थिक मदद देती हैं, बल्कि नए डिजाइन सीखने, गुणवत्ता बनाए रखने, ऑर्डर मैनेज करने जैसे कई कौशल भी सिखाती हैं। यह कौशल उन्हें भविष्य में अपने खुद के उद्यम स्थापित करने में भी मदद करेंगे।

हिमालयन ब्लूम्स की सफलता ने कई और महिलाओं को प्रेरित किया है। खेतिखान के आस-पास के गांवों की महिलाएं भी अब इस समूह का हिस्सा बन रही हैं। प्रतिभा की पहल ने न सिर्फ इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, बल्कि उन्हें समाज में एक नई पहचान भी दी है। अब वे अपने परिवार और समाज के लिए एक मिसाल हैं।

प्रतिभा का यह सफर एक मिसाल है उन सभी के लिए जो अपने सपनों को पूरा करने की ठान लेते हैं। वे बताती हैं कि गांव की महिलाएं शहर के लोगों के अनुमान से कहीं ज्यादा समझदार होती हैं, बस उन्हें सही मौका और थोड़ा सा सहारा चाहिए। प्रतिभा का मानना है कि अगर महिलाओं को संसाधन, तकनीक, और समर्थन दिया जाए, तो वे चमत्कार कर सकती हैं।

Pratibha had started Himalayan Blooms

अपनी सफलता के बाद भी प्रतिभा के कदम नहीं रुके हैं। उनका अगला लक्ष्य है इस मॉडल को दूसरे गांवों में भी दोहराना और वहां की महिलाओं को भी सशक्त बनाना। वे चाहती हैं कि हिमालयन ब्लूम्स की बागडोर पूरी तरह से गांव की महिलाओं के हाथों में हो, ताकि वे अपनी शर्तों पर अपने समुदाय के लिए काम कर सकें। इस तरह, प्रतिभा की यह पहल आने वाले समय में और भी अधिक महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।

प्रतिभा की कहानी एक प्रेरणा है, एक ऐसा आईना जो हमें दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति समाज में सार्थक बदलाव ला सकता है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि सपने देखना और उन्हें पूरा करने की कोशिश करना कितना महत्वपूर्ण है, चाहे इसके लिए हमें अपनी सुविधाओं को त्यागना ही क्यों न पड़े।

RELATED ARTICLES
error: Content is protected !!