(Influencer Media) : उच्च शिक्षा प्राप्त कर बड़े शहरों में नौकरी करना और पलायन की समस्या पर चर्चा करना आज के युवाओं के लिए आम हो गया है। लेकिन कुछ युवा ऐसे भी हैं जो पहाड़ों का दर्द समझते हुए, पलायन की रोकथाम में योगदान दे रहे हैं। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला की निवासी अंजली नबियाल भी ऐसी ही युवती है , जो पिछले सात सालों से इस समस्या के समाधान में जुटी हुई हैं।
उद्यम संस्था की स्थापना और सफलता
अंजली नबियाल ने 2017 में पंकज बधवा और अन्य युवाओं के साथ मिलकर उद्यम संस्था की स्थापना की। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में युवा उद्यमी तैयार करना है और उन्हें नॉन-बैंकिंग कंपनियों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराकर उद्यम स्थापित कराना है। वह अब तक, नैनीताल, अल्मोड़ा और बागेश्वर जनपदों में 300 से अधिक युवाओ को स्वरोजगार के जरिये अपना उद्यम स्थापित करा चुकी है।
अंजली नबियाल का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
मूल रूप से धारचूला के नाबी गांव की रहने वाली अंजली नबियाल का पालन-पोषण दिल्ली में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में ही प्राप्त की और इसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी वहीं से की। दिल्ली में एक एनजीओ के साथ वालंटियर के रूप में काम करने का मौका मिलने पर, उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की अनेक समस्याओं पर समाधान निकलने का काम किया।
पलायन की रोकथाम के लिए अंजली का सफर
दिल्ली के सरकारी स्कूलों की समस्याओं को देखकर, अंजली को उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में दूरदराज के स्कूलों की स्थिति और भी गंभीर लगी। इसके बाद, उन्होंने टीच फॉर इंडिया प्रोग्राम के तहत बिहार में 13 माह तक कार्य किया। इस अनुभव ने अंजली को उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कुछ बेहतर करने की प्रेरणा दी और वह अपने राज्य उत्तराखंड वापस लौट आईं।
ग्रामीण युवाओं के लिए ऋण और प्रशिक्षण कार्यक्रम
अंजली बताती हैं कि रोजगार की कमी से जूझ रहे युवाओं के सामने स्वरोजगार की इच्छा तो बहुत होती है, लेकिन स्वरोजगार के तहत उद्यम शुरू करने के लिए पूंजी की कमी बड़ी समस्या बन जाती है। उन्होंने इसी समस्या को हल करने के लिए उद्यम संस्था के साथ बाहरी शहरों की बड़ी-बड़ी कंपनियों को जोड़ा। इन कंपनियों के माध्यम से युवाओं के बिज़नेस प्रस्तावों को नॉन-बैंकिंग कंपनियों तक पहुंचाने का कार्य किया ।
प्रशिक्षण और मॉनीटरिंग
उद्यम शुरू करने के बाद, संस्था की टीम लगातार मॉनीटरिंग करती रहती है। इस प्रक्रिया में, युवाओं को संबंधित कार्यक्षेत्र के विशेषज्ञों से प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि वे अपने व्यवसाय में सफल हो सकें।
अन्य योजनाएं और पहल
उद्यम प्रोग्राम के अलावा, अंजली ने फाइन आर्ट की पढ़ाई कर चुके युवाओं के लिए “पहाड़ के रंग प्रोग्राम” भी शुरू किया है। इस प्रोग्राम के तहत, अब तक 35 युवाओं को जोड़ा गया है और 15 लाख रुपये की पेंटिंग्स प्रदर्शिनियों के माध्यम से बेची जा चुकी हैं। इसके अलावा, खेल, थियेटर और अन्य क्षेत्रों में रुचि रखने वाले युवाओं को भी प्रशिक्षण और प्लेटफार्म प्रदान करने की योजना पर कार्य किया ।
संगठन की विशेषताएं
उद्यम संस्था न केवल युवाओं को उद्यमी बनने में सहायता करती है, बल्कि उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण, ऋण और मॉनीटरिंग सेवाएं भी प्रदान करती है। इसका उद्देश्य युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे पलायन की समस्या का समाधान हो सके।
अंजली और उनकी टीम का उद्देश्य केवल 300 उद्यमियों तक सीमित नहीं है। वे उत्तराखंड के अन्य जिलों में भी इसी तरह के प्रयासों को बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं।
अंजली नबियाल का प्रयास और उनकी उद्यम संस्था उत्तराखंड में पलायन की समस्या का एक सफल समाधान प्रस्तुत कर रही है। उनके नेतृत्व में, न केवल 300 से अधिक युवाओं को स्वरोजगार मिला है, बल्कि वे अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पहल को विस्तार दे रही हैं। उनकी कहानी और उनके प्रयास हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।