Monday, February 24, 2025
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रवि शर्मा ने पहाड़ों में फूलों की खेती से सालाना लाखों का कारोबार खड़ा किया

Influencer Media( सोलन): भारत की धरती ने सदैव अन्नदाताओं को जन्म दिया है। खेती हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। लेकिन बदलते समय के साथ किसानों के सामने चुनौतियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में फूलों की खेती एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। हिमाचल प्रदेश की सोलन जिला के चायल पर्यटन नगरी में स्थित बांझणी पंचायत के युवा रवि शर्मा ने अपने गांव में इस नई शुरुआत को साकार किया है। उनकी सफलता की कहानी बताती है कि मेहनत और लगन से हर सपना पूरा किया जा सकता है।

रवि शर्मा का मानना है कि परंपरागत खेती के मुकाबले फूलों की खेती से अच्छी कमाई की जा सकती है। उन्होंने शुरुआत में एक साल तक सब्जी की खेती की, लेकिन जब उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने फूलों की खेती की ओर रुख किया। उनके आस-पास के क्षेत्र में आज 150 से 200 किसान फूलों की खेती कर रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि यह एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है।

रवि शर्मा विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती करते हैं। मुख्य रूप से वे कार्नेशन फूल की खेती करते हैं, जो कट फ्लावर के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा वे डेसी, गेलोडस, ऑर्नामेंटल केल, और लिमोनियम जैसे फूलों की भी खेती करते हैं। इन फूलों की खेती से उन्हें न केवल अच्छी कमाई होती है, बल्कि वे पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।

कार्नेशन फूल की खेती करने के लिए सही समय और तापमान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। हिमाचल प्रदेश की जलवायु इस फूल के लिए अनुकूल मानी जाती है। यहां का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो कार्नेशन फूल की खेती के लिए बिल्कुल सही है। रवि शर्मा कहते हैं कि यदि कोई पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहता है, तो कार्नेशन फूल की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

रवि शर्मा ने जब नौकरी छोड़कर हिमाचल प्रदेश में खेती शुरू की, तो उन्हें इस क्षेत्र में अधिक जानकारी नहीं थी। उन्होंने खेती में किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं किया और जैविक खेती के मॉडल को अपनाया। इस दिशा में उन्होंने पद्मश्री सम्मानित किसान सुभाष पालेकर से ट्रेनिंग ली। पालेकर जी के जैविक खेती के मॉडल का अनुसरण करते हुए, उन्होंने स्यूडोमोनास और ट्राइकोडर्मा का उपयोग करके मिट्टी की सेहत को बेहतर बनाया।

पहाड़ी क्षेत्रों में खेती करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, विशेषकर जब बात फूलों की खेती की हो। रवि शर्मा के अनुसार, पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता बहुत कम होती है और उन्हें भूमिगत जल पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके अलावा, लैंडस्लाइड और मौसम की अनिश्चितताओं का भी सामना करना पड़ता है। वहीं, मैदानी इलाकों में बरसात के बाद और गर्मी आने से पहले फूलों की खेती की जाती है, लेकिन यहां भी पानी के भराव को रोकना एक बड़ी चुनौती होती है। इस समस्या का समाधान ग्रीन नेट का उपयोग करके किया जा सकता है, जिससे गर्मी के मौसम में भी फूलों की खेती संभव हो पाती है।

कार्नेशन फूल की खेती में कई महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है। इस फूल का उत्पादन देने में 5 से 6 महीने का समय लगता है। इस दौरान जैविक खेती के साधनों का उपयोग करके मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। स्यूडोमोनास और ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक उत्पादों का उपयोग करके पौधों को बीमारियों से बचाया जा सकता है।

फूलों की खेती में सबसे बड़ा निवेश पॉलीहाउस का सेटअप लगाना होता है। इसके लिए 800-900 स्क्वायर मीटर का क्षेत्र चाहिए होता है। एक कार्नेशन पौधे की कीमत लगभग 11 रुपये होती है, और छोटे किसानों को नुकसान से बचने के लिए कम से कम 15000 पौधों का रोपण करना चाहिए। रवि शर्मा का सालाना टर्नओवर 30-35 लाख रुपये है, जो इस बात का प्रमाण है कि फूलों की खेती एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है।

कार्नेशन फूलों में कॉलर रॉट, रूट रॉट, और फ्यूजेरियम जैसी बीमारियां आम होती हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए जैविक खेती के मॉडल का उपयोग किया जा सकता है। यदि किसान जैविक तरीकों का उपयोग नहीं करना चाहते, तो केमिकल फंगीसाइड का भी उपयोग कर सकते हैं। बीमारियों के लक्षण पौधों के तने, पत्तियों और जड़ों में दिखाई देने लगते हैं। उदाहरण के लिए, फ्यूजेरियम में पत्तियां मुरझाने लगती हैं, रूट रॉट में तना सही नहीं होता, और कॉलर रॉट में तना सही रहते हुए भी ऊपर का हिस्सा मुरझा जाता है।

फूलों की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए बाजार की समझ होना बेहद जरूरी है। रवि शर्मा के अनुसार, उनके द्वारा उगाए गए फूल दिल्ली की गाज़ीपुर मंडी में बेचे जाते हैं। अगर उत्पादन अच्छा हो, तो फूलों को विदेशों में भी भेजा जा सकता है। दिल्ली के बाद, मुंबई और हैदराबाद में भी फूलों का अच्छा बाजार है। छोटे किसान अन्य किसानों के साथ मिलकर बड़े बाजारों में माल भेज सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा हो सकता है।

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