(मोहन भुलानी, Influencer Media) : भारतीय फास्ट फूड इंडस्ट्री में सफलता पाना आसान नहीं है, खासकर जब आप किसी साधारण दिखने वाले उत्पाद को लेकर अपनी पहचान बनाना चाहते हैं। लेकिन वेंकटेश अय्यर और शिवदास मेनन ने अपने यूनिक आइडिया और मेहनत के बल पर Goli Vada Pav को एक बड़े ब्रांड में तब्दील कर दिया। आज Goli Vada Pav का कारोबार देश के 100 से अधिक शहरों में फैला हुआ है। इसमें हम जानेंगे कि कैसे Goli Vada Pav की शुरुआत हुई, किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और कैसे उन्होंने इस ब्रांड को इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
वेंकटेश अय्यर एक दिन जब वे अपने काम से लौट रहे थे, उन्होंने मुंबई के वीटी स्टेशन के बाहर 40 फीट बड़ा एक मैकडोनाल्ड का बैनर देखा। उसी बैनर के नीचे एक बड़ा पाव का ठेला खड़ा था। वेंकटेश ने बडा पाव खरीदा और खाने के दौरान उन्होंने देखा कि यह बर्गर से बहुत मिलता-जुलता है। लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि बर्गर एक बड़े ब्रांड का हिस्सा था और बड़ा पाव एक साधारण स्थानीय स्नैक। यही वो क्षण था जब वेंकटेश को लगा कि बड़ा पाव के कारोबार में बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
इस आइडिया को लेकर उन्होंने अपने दोस्त शिवदास मेनन के साथ मिलकर काम करने का निश्चय किया। दोनों ने मिलकर लगभग 30 लाख रुपये निवेश किए और अपने बिजनेस को “गोली” नाम दिया। मुंबई में बड़ापाव बहुत पसंद किया जाता है और यही स्वाद उन्होंने अपने बिजनेस में उतारा। 2004 में कल्याण में अपनी पहली शॉप खोलने के साथ ही उन्हें सफलता मिलने लगी। जल्द ही उन्होंने इसकी फ्रेंचाइजी खोलने का विचार बनाया और कम समय में ही 15 आउटलेट्स खोल दिए।
शुरुआती दिनों में Goli Vada Pav को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि बड़ा पाव एक दिन से ज्यादा नहीं चलता था, जिससे बहुत सारा स्टॉक बर्बाद हो जाता था। इसके अलावा, कुछ कर्मचारियों के द्वारा बड़ा पाव चोरी कर लेने जैसी समस्याएं भी सामने आईं। इन सभी समस्याओं के बावजूद, वेंकटेश और शिवदास ने हार नहीं मानी और अपने बिजनेस में बदलाव करते रहे।
एक दोस्त के सुझाव पर उन्होंने एक भारतीय कंपनी Vista से टाईअप किया। Vista ने Goli Vada Pav की संकल्पना को समझा और उनके साथ बैंक एंड पार्टनरशिप की पेशकश की। इस साझेदारी के साथ, गोली वड़ा पाव की क्वालिटी में भी सुधार हुआ। अब वड़ा पाव मेटल डिक्टेटर और एक्स-रेज मशीन से गुजरने के बाद ग्राहकों तक पहुंचने लगा, जिससे उसकी गुणवत्ता में और भी सुधार आया।
इसके अलावा, वड़ा पाव की शेल्फ लाइफ भी 9 महीने तक बढ़ गई, जो कि किसी भी भारतीय फास्ट फूड के लिए एक बड़ा मील का पत्थर था। इस बदलाव के साथ ही ग्राहकों का विश्वास Goli Vada Pav पर और भी बढ़ता गया। अब यह ब्रांड सिर्फ मुंबई का नहीं, बल्कि पूरे देश का पसंदीदा फास्ट फूड बन गया।
Goli Vada Pav की सफलता सिर्फ मुंबई तक सीमित नहीं रही। 2011 में, चेन्नई के एक उद्योगपति ने इसमें 21 करोड़ रुपये निवेश किया। इसके बाद, Goli Vada Pav ने देश के अन्य हिस्सों में भी अपनी शाखाएं विस्तृत कीं। आज, Goli Vada Pav की शाखाएं देश के 15 राज्यों के लगभग 100 शहरों में फैली हुई हैं, और इसके 300 से भी ज्यादा आउटलेट्स हैं।
Goli Vada Pav की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण कल्याण की पहली शॉप का टर्नओवर है, जो आज लगभग 55 करोड़ रुपये का है। वेंकटेश अय्यर और शिवदास मेनन की मेहनत और लगन से यह ब्रांड आज इतने बड़े स्तर पर पहुंचा है। उनका लक्ष्य है कि आने वाले समय में वे अपनी टर्नओवर को 200 करोड़ रुपये तक पहुंचाएं।