Sunday, April 20, 2025
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नैनबाग के कुंदन सिंह पंवार बागवानी में Innovation करके बने उद्यान कारोबारी

(मोहन भुलानी, Influencer Media ): जिंदगी में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर किसी को चुनौतियों का सामना करना होता है। चुनौतियों से हार मानने की बजाय हमें लक्ष्य तक पहुँचने के लिए बेहतर तरीके खोजने की ओर ध्यान लगाना चाहिए, लेकिन हम में से अधिकांश अक्सर विपरीत काम करते हैं। अधिकांश लोग वैकल्पिक तरीकों का पता लगाने के बजाय निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में अपनी असमर्थता को ही दोषी ठहराते हैं। नैनबाग के निवासी  कुंदन सिंह पंवार की कहानी चुनौतियों का मुकाबला कर लक्ष्यों को स्मार्ट तरीके से पूरा करने की एक अनुकरणीय मिसाल है।

टिहरी गढ़वाल की नैनबाग तहसील के निवासी उद्यानपति कुंदन सिंह पंवार ने अपनी शिक्षा बीएससी (1980) और एलएलबी (1984) में पूरी की। वे वर्तमान में “नारायणी उद्यान” और “नारायणी नक्षत्र पौधशाला” के संस्थापक हैं। 1986 में राजकीय सेवा से त्यागपत्र देने के बाद, जब उन्होंने देखा कि उनके गांव की भूमि बंजर हो रही है, तो उन्होंने इसे सुधारने और आजीविका के तौर पर खेती में नई तकनीक के साथ प्रयोग करने का निर्णय लिया। वनस्पति विज्ञान में उनकी रुचि होने के कारण वे खेती -किसानी की दिशा में काम करने के लिए उत्साहित हुए तथा उन्होंने अपने गांव की बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का बीड़ा उठाया और स्वरोजगार की नई राह चुनी।

सबसे पहले उन्होंने अपने गांववासियों को स्वैच्छिक चकबंदी को अपनाने के लिए तैयार किया, यह प्रयोग बहुत सफल रहा और किसानों को अच्छी पैदावार मिली। चकबंदी के कारण, सिंचाई में भी आसानी हुई और खेतों तक पहुंचने में भी कोई दिक्कत नहीं रही।  कुंदन सिंह पंवार का यह प्रयोग स्वैच्छिक चकबंदी की सफलता का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। यह दर्शाता है कि किसानों को एकजुट होकर और आपसी सहयोग से, कृषि में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।

इसमें वे सफल हुए। यमुनाघाटी में नैनबाग का “समयानी नामक तोक” समुद्र तल से 1120 मीटर से 1175 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है तथा उत्तराखंड में सबसे पहले यही से स्वैच्छिक चकबंदी की शुरुवात हुई । यहां उन्होंने खुबानी की 5 इटेलियन प्रजाति बेब्को से अपनी बागवानी की शुरुआत की।

kundan singh panwar

हरित क्रांति की नई लहर – नारायणी नक्षत्र पौधशाला 

सन 2006 में स्थापित, इस पौधशाला ने पर्वतीय क्षेत्र में जलवायु की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए बागवानी के क्षेत्र में नवाचार की एक नई दिशा प्रस्तुत की। कुंदन सिंह पंवार, ने इस पौधशाला की स्थापना इस उद्देश्य को लेकर किया था कि यहां के ग्रामीण समुदाय को बागवानी के प्रति जागरूक कर उन्हें अच्छा प्रशिक्षण दिया जाय। इस पहल ने न केवल स्थानीय लोगों को बागवानी की ओर आकर्षित किया, बल्कि उन्हें अपने उद्यान स्थापित करने में भी मदद की। यहाँ पर लोग बागवानी के गुर सीख सकते हैं और अपने घरों में भी बागवानी कर सकते हैं। इस प्रकार “नारायणी उद्यान” स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रहा है। इस पौधशाला की सफलता का एक प्रमाण यह है कि यह वर्तमान में “राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड” से मान्यता प्राप्त है। यह मान्यता इस बात का प्रतीक है कि नारायणी नक्षत्र पौधशाला ने बागवानी के क्षेत्र में उच्च मानकों को स्थापित किया है तभी इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हुई है।

पहाड़ के विपरीत जलवायु में बागवानी के अभिनव प्रयोग की प्रथा शुरू हुई

आम की खेती

पहाड़ की ठंडी जलवायु में 1120-1135 मीटर तक के ढालदार खेतों में आम की विभिन्न प्रजातियों जैसे चौसा, लंगड़ा, दशहरी, आम्रपाली, और नवीनतम रंगीन प्रजातियों जैसे अरुणिका, अरुणिमा, अम्बिका, प्रतिभा, पूसा श्रेष्ठ, नाजुक बदन, मल्लिका से शानदार शुरुवात की गई , इस क्षेत्र में यह एक अनूठा प्रयोग था जिसे लोग आज तक भी अपना रहे हैं।  यह अनूठा प्रयोग दर्शाता है कि उचित तकनीकों और कड़ी मेहनत से, कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी आम की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। यह अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है जो अपनी आय और जीवन स्तर को बेहतर बनाना चाहते हैं।

कीवी की खेती

पहाड़ की विपरीत जलवायु में डा यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी विश्वविद्यालय नौणी, सोलन, हिमाचल प्रदेश से लाकर कीवी की एलिशन, तमुरी, हेवर्ड, मोंटी प्रजातियों को सबसे पहले 1135-1150 मीटर तक के खेतों में रोपित किया गया। यह उत्तराखंड की पहली कीवी परियोजना का अभिनव प्रयोग था जो बेहद सफल रही । यह पहल न केवल किसानों के लिए एक वरदान साबित हुई, जिन्हें अपनी आय में वृद्धि का एक नया अवसर मिला, बल्कि इसने क्षेत्र में कृषि विविधता को बढ़ावा देने और आर्थिकी में सुधार लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सेब की खेती

सेब की खेती एक लाभकारी कृषि व्यवसाय है, खासकर हिमालयी क्षेत्रों में सेब की खेती से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करती है। इसी को ध्यान में रखकर 1150-1175 मीटर तक के क्षेत्र में सेब की अन्ना, ऑर्गन स्पर, रेड चीफ, गाला आदि प्रजातियों को रोपित किया गया। यह प्रयोग भी सफल रहा हालाँकि, मौसम के चक्र में बदलाव के कारण सेब की फसलों में बीमारियां होने लगीं। बीमारियों से बचने के लिए धीरे-धीरे सेब के बागों में आड़ू, प्लम, खुमानी और बादाम जैसी अन्य फलों की अगेती किस्मों को रोपित करना शुरू किया जो आजतक सफल रहा ।

नवोन्वेषी प्रयास

  1. स्वैच्छिक चकबंदी का सफल प्रयोग: बिखरी कृषि भूमि को एकत्रित कर सफल प्रयोग।
  2. प्लम की सघन बागवानी: 2-2 मीटर की दूरी पर रोपण और डबल ग्राफ्ट तकनीक से त्वरित फलोत्पादन।
  3. विभिन्न जलवायु की प्रजातियों का प्रयोग: सेब और आम को एक ही स्थान पर तैयार कर व्यवसायिक उत्पादन।
  4. मिश्रित प्रजातियों का प्रयोग: यमुना घाटी में मिश्रित प्रजातियों के पहले फलोत्पादक।
  5. स्थानीय तकनीक का विस्तार: नवीनतम तकनीकी का सृजन और विस्तार।
  6. स्थानीय आजीविका का सृजन: पर्यटकों और धार्मिक यात्रियों को अगेती किस्म के फल उपलब्ध कराकर।
  7. कीवी का सफल उत्पादन: उत्तराखंड में पहली बार कीवी का व्यवसायिक उत्पादन।
  8. युवाओं को प्रोत्साहन: युवाओं और कालेज के छात्र-छात्राओं को शैक्षिक और तकनीकी जानकारी देकर बागवानी के प्रति प्रेरित करना।


कुंदन सिंह पंवार का नाम भारतीय बागवानी के क्षेत्र में विशेष सम्मान से लिया जाता है। अपनी उत्कृष्ट उपलब्धियों और नवाचारों के लिए उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है। आइए जानते हैं उनके द्वारा प्राप्त कुछ प्रमुख पुरस्कारों और सम्मानों के बारे में।

2004: पर्वतजन द्वारा “पर्वतजन सम्मान”

सन् 2004 में पर्वतजन द्वारा “पर्वतजन सम्मान” से नवाजा गया। इस पुरस्कार का उद्देश्य उन व्यक्तियों को मान्यता देना है जिन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया है। पंवार जी के नवाचार और समर्पण ने उन्हें इस प्रतिष्ठित सम्मान का पात्र बनाया।

2004: उत्तराखंड सरकार द्वारा नारायणी उद्यान को प्रदेश का “प्रथम मॉडल आर्चेड” घोषित किया गया

उसी वर्ष, उत्तराखंड सरकार ने नारायणी उद्यान को प्रदेश का “प्रथम मॉडल आर्चेड” घोषित किया। यह उद्यान न केवल बागवानी के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि यह एक उदाहरण भी है कि किस प्रकार से वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीकी नवाचार के माध्यम से बागवानी को उच्च स्तर पर पहुंचाया जा सकता है।

2005: महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा “उद्यान पंडित” पुरस्कार से सम्मानित

सन् 2005 में महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा “उद्यान पंडित” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार बागवानी के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान और ज्ञान के लिए दिया गया। पंवार जी की मेहनत और लगन ने इस सम्मान को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2008: भारत सरकार की परियोजना आत्मा द्वारा “किसान श्री सम्मान”

सन् 2008 में भारत सरकार की परियोजना आत्मा द्वारा “किसान श्री सम्मान” से नवाजा गया। यह सम्मान किसानों के प्रति उनके अटूट समर्पण और कृषि में नवाचार के लिए दिया जाता है। पंवार जी ने कृषि के क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान से इस पुरस्कार को प्राप्त किया।

2010: स्थानीय स्तर पर “जनधारा सम्मान”

सन् 2010 में स्थानीय स्तर पर “जनधारा सम्मान” से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके समुदाय के प्रति उनकी सेवाओं और योगदान को मान्यता देने के लिए दिया गया। पंवार जी ने अपने कार्यों से स्थानीय समुदाय में एक नया उत्साह और प्रेरणा जगाई है।

2018: इंडियन सोसाइटी ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा “देवभूमि बागवानी पुरस्कार” से सम्मानित

सन् 2018 में, इंडियन सोसाइटी ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने “देवभूमि बागवानी पुरस्कार” से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने बागवानी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। पंवार जी की प्रतिबद्धता और उनके नवाचार ने उन्हें इस सम्मान का हकदार बनाया।

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उद्यानपति कुंदन सिंह पंवार की स्वैछिक चकबंदी से बागवानी की प्रेरणादायक यात्रा की बदौलत ही आज मसूरी, कैम्टी फाल, से लेकर विकास नगर तक अगेती किस्मों के फल पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं। आज कुंदन सिंह पंवार आर्थिक रूप से संपन्न हो गए हैं साथ ही साथ उन्होंने सैकड़ों किसानों की आर्थिकी को मजबूत किया है।
कुंदन सिंह पंवार की यह यात्रा प्रेरणादायक है और उनकी मेहनत, समर्पण और नवाचार का परिणाम है। उनकी उपलब्धियाँ न केवल उन्हें सम्मानित करती हैं, बल्कि बागवानी और कृषि क्षेत्र में कार्यरत अन्य व्यक्तियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

कुंदन सिंह पंवार जी, से संपर्क करने का पता ये है ग्राम पाब, पोस्ट-कोटीपाब, वाया सिंगुनिसेरा, तहसील-नैनबाग, जौनपुर, टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड), मोबाइल नंबर 9411313306.

 

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