Monday, June 9, 2025
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राजेश ओझा की जोवाकी एग्रो फूड ने जामुन से आदिवासियों की आय की चौगुनी

(Mohan Bhulani, Influencer) : यह कहानी है राजस्थान के राजेश ओझा की, जिन्होंने शहरी जीवन की चकाचौंध को छोड़कर अपने गांव की मिट्टी को अपनाया और वहां एक अनूठा रोजगार का सृजन किया। उनकी पहल ने न केवल बर्बाद हो रहे फलों को बचाया, बल्कि गांव की 1200 महिलाओं को भी आजीविका प्रदान की।

राजस्थान के पाली जिले के बेड़ा गाँव के राजेश, जिन्होंने 12वीं कक्षा के बाद रोजगार की खोज में मुंबई का रुख किया। वहां उन्होंने विभिन्न नौकरियों की और व्यवसाय स्थापित करने की कोशिश की, परंतु सफलता और असफलता के बीच झूलते रहे। लगभग 16-17 वर्षों के संघर्ष के बाद, उन्होंने अपने लिए और फलों की खेती से जुड़ी महिलाओं के लिए एक लाभकारी पथ चुना।

इसी सोच के साथ वह मुंबई से वापस अपने गांव लौट आए और ‘जोवाकी एग्रोफ़ूड’ नामक सोशल एंटरप्राइज की शुरुआत की। इसके माध्यम से उन्होंने उदयपुर के गोगुंदा और कोटरा क्षेत्र के आदिवासी समुदायों को रोजगार प्रदान किया।

राजेश ने देखा कि गांव की आदिवासी महिलाएं लंबी दूरी तय करके मौसमी फल बेचती हैं, और समय पर न बिक पाने के कारण उन्हें फल फेंकने पड़ते हैं। इससे उनकी मेहनत का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता था। इस समस्या का समाधान ढूंढते हुए, राजेश ने गांव की महिलाओं को फ़ूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण दिया और जामुन तथा सीताफल से विभिन्न उत्पाद बनाने शुरू किए।

उन्होंने महिलाओं का एक समूह बनाया और उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनके फलों को बाजार भाव में खरीदेंगे। 2017 में, उन्होंने ‘जोवाकी एग्रोफ़ूड इंडिया’ की स्थापना की और इसे एक सोशल एंटरप्राइज के रूप में विकसित किया। उन्होंने महिलाओं को चरणबद्ध प्रशिक्षण दिया और हर गाँव में संग्रहण केंद्र स्थापित किए।

रोजगार के सृजन में महिलाओं की मदद निम्नलिखित प्रकार से हुई:

  1. प्रशिक्षण: राजेश ओझा ने महिलाओं को फ़ूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण दिया, जिससे वे जामुन और सीताफल जैसे फलों से विभिन्न प्रोडक्ट्स बनाने में सक्षम हुईं।
  2. संग्रहण केंद्र: हर गाँव में संग्रहण केंद्र स्थापित किए गए, जहां महिलाएं फल इकट्ठा करके दे सकती हैं। इससे उन्हें फलों को दूर-दराज बाजारों में ले जाने की जरूरत नहीं पड़ी।
  3. नियमित आय: राजेश ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि वह उनसे बाजार भाव में फल हर दिन खरीदेंगे, जिससे उन्हें नियमित और स्थिर आय सुनिश्चित हुई।
  4. सोशल एंटरप्राइज: ‘जोवाकी एग्रोफ़ूड इंडिया’ को सोशल एंटरप्राइज के रूप में विकसित किया गया, जिससे महिलाओं को न केवल रोजगार मिला बल्कि समुदाय के विकास में भी योगदान दिया गया।
  5. ऑनलाइन बिक्री: राजेश ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए महिलाओं द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स को बेचना शुरू किया, जिससे उनके उत्पादों को व्यापक बाजार मिला और उनकी आमदनी में वृद्धि हुई।

आज, राजेश सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से इन महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों को बेचकर अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं, और इस प्रक्रिया में राजस्थान की 1200 आदिवासी महिलाओं की खुशहाली को भी सुनिश्चित कर रहे हैं। राजेश और ‘जोवाकी एग्रोफ़ूड’ कंपनी के बारे में अधिक जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं।

 

 

 

(The story has been published via a syndicated feed with a modified.)

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