(Influencer Media, Shimla): हिमाचल प्रदेश के विक्रम रावत ने कलासन में 42 बीघा ज़मीन पर एक अनूठा मॉडल फार्म स्थापित किया है। उन्होंने अब तक 11,000 से अधिक किसानों और बागवानों को उन्नत बागवानी की ट्रैंनिंग दी है, और 5 लाख से अधिक सेब के पौधे वितरित किए हैं। उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी को ठोकर मारते हुए बागवानी की ओर कदम बढ़ाने की यात्रा बहुत ही रोचक है।
शिमला से 110 किलोमीटर दूर बसे छोटे से गांव कलासन में विक्रम रावत ने 42 बीघा ज़मीन पर एक ऐसा फार्म तैयार किया है, जिसने हिमाचल में आधुनिक सेब की खेती की नींव रखी। हिमाचल के लाखों बागवान विक्रम रावत को आधुनिक सेब बागवानी का जनक मानते हैं।
बैंकिंग की स्थायी नौकरी छोड़कर बागवानी को अपनाने वाले विक्रम रावत अब हर वर्ष लगभग डेढ़ करोड़ रुपये कमा रहे हैं। उन्होंने हिमाचल के किसानों के मुनाफे को बढ़ाने के लिए 11,000 से अधिक सेब बागवानों को बागवानी के गुर सिखाए और 5 लाख से अधिक सेब और अन्य फलों के पौधे भी वितरित किए हैं।
सेब की खेती में आई चुनौतियाँ
विक्रम बताते हैं, “मैंने इंटरनेट से मिली जानकारी को बागवानों तक पहुँचाने की बहुत कोशिश की। मैंने अपने पैसे से एडवांस्ड किस्म के सेब के पौधे खरीदकर उन्हें दिए, लेकिन किसानों ने उसमे रुचि नहीं दिखाई। तब मैंने खुद ही सेब की खेती करने का निर्णय लिया और 2002 में कलासन गांव में अपनी जमा पूंजी से 42 बीघा ज़मीन खरीदी।”
विक्रम बताते हैं कि , “मुझे एडवांस्ड मॉडल फार्म तैयार करने में 8 साल लगे। इस दौरान मैं हर साल अपने बाग में नए-नए पौधे लगाए फिर 8 साल बाद मुझे इसमें बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले।”
अंतर्राष्ट्रीय यात्राएँ और नवाचार
विक्रम रावत ने अपने फार्म को आधुनिक बनाने और हिमाचल के किसानों को अधिक उत्पादन वाली फलों की किस्में उपलब्ध कराने के लिए जर्मनी, नीदरलैंड, इज़राइल और अमेरिका जैसे कई देशों की यात्रा की है। आज उनके बाग में 20 से अधिक एडवांस्ड किस्म के फलों के 20,000 पौधे लगे हुए हैं।
उनकी बेटी, जो अब फार्म को संभाल रही हैं, बताती हैं, “अब हमने लेबर को कम करने के लिए बागवानी को ऑटोमेशन में डालने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए हम इज़राइल से नई तकनीक लेकर आए हैं, जिससे सभी सेब के पौधों में सेंसर लगाए जाएंगे और इन सेंसर्स और कंप्यूटर के ज़रिए पौधों को पानी व ज़रूरी पोषक तत्व एक बटन के क्लिक पर उपलब्ध होंगे, इससे समय की बचत के साथ-साथ संसाधनों की लागत भी बहुत कम आएगी ।”
किसान और बागवानों की प्रेरणा
कलासन फार्म से उन्नत बागवानी के तरीके सीखने वाले कुल्लू जिले के बागवान महेंद्र वर्मा बताते हैं, “मैं पिछले एक दशक से विक्रम रावत के साथ जुड़ा हुआ हूँ। इनके द्वारा सुझाई हुई किस्मों से हर साल मेरी आय में बढ़ोतरी हो रही है, जबकि हमारे इलाके में हर साल बागवानों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है। मेरे यहाँ ऐसा नहीं है। अब मेरी देखा-देखी क्षेत्र के और बागवान भी कलासन नर्सरी फार्म से पौधे और बागवानी का प्रशिक्षण ले रहे हैं।”
बागवानी और ट्रेनिंग के साथ फार्म स्टे भी
विक्रम रावत बताते हैं कि वह बागवानों को सलाह देने के अलावा लोगों के बागवानी में जाकर भी देखते हैं। उनकी बागवानी की स्थिति जानने और समझने के बाद ही , वहाँ पर आसानी से उगाए जाने वाले सेब व अन्य फलों की किस्मों के बारे में अपनी राय देते हैं।
विक्रम, साल 2019 से बैंक की नौकरी छोड़कर पूरा समय सेब की खेती कर रहे हैं और आज हिमाचल के अलावा उत्तराखंड सरकार के लिए बागवानी क्षेत्र में सलाहकार की भूमिका भी निभा रहे हैं। उन्होंने उत्तराखंड में कई आधुनिक सेब के बगीचे लगाए हैं, जिन्हें देखकर अब किसान और बागवान भी बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं।
कलासन फार्म में बागवानी की ट्रेनिंग के साथ-साथ फार्म स्टे की सुविधा भी है, जहाँ लोग प्राकृतिक माहौल और फलों से लदे बागों में अच्छा समय व्यतीत कर सकते है।