Monday, June 9, 2025
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अल्मोड़ा के संदीप पांडेय ने “पहाड़ी लूण” बेचकर किया 1.5 करोड़ रूपये का कारोबार

(मोहन भुलानी, Influencer ) : अल्मोड़ा के संदीप पांडे की कहानी प्रेरणा और उद्यमशीलता की एक अद्भुत कहानी है। दिल्ली में एक सफल इंजीनियर होने के बाद, उन्होंने 2009 में अपनी नौकरी छोड़ दी और उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में एक रेस्टोरेंट खोलने का सपना देखा। लेकिन 2013 में, एक प्राकृतिक आपदा ने उनके सपनों को तबाह कर दिया।

हताश न होकर, संदीप ने हार नहीं मानी। उन्होंने हिमफ्ला नामक एक कंपनी शुरू की, जो स्वादिष्ट और जैविक नमक की 55 किस्मों का उत्पादन करती है। आज, हिमफ्ला भारत और विदेशों में बिकता है और इसका 1.5 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार है।

उत्तराखंड की पारंपरिक खाद्य संस्कृति में ‘पिस्यू लून’ का विशेष स्थान है। मोटे पिसे हुए लवण से तैयार यह खाद्य पदार्थ ताजगी और स्वाद का अनूठा मेल है। संदीप पांडेय ने इस विरासत को बचाने और पुनर्जीवित करने का निश्चय किया।

150 रुपये में सिल-बट्टा खरीदकर, उन्होंने 2013 में ‘हिमालयन फ्लेवर्स’ की स्थापना की। यह उद्यम पहले एक एनजीओ के रूप में काम करता था, और अगस्त 2021 में ‘हिमफ्ला प्राइवेट लिमिटेड’ नामक एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदल गया। ‘हिमालयन’ से ‘हिम’ और ‘फ्लेवर्स’ से ‘फ्लै’ लेकर बनाया गया यह नाम, पहाड़ों के स्वाद को दर्शाता है।

हिमफ्ला: स्वादिष्ट विरासत, वैश्विक पहचान

आज, हिमफ्ला पारंपरिक विधि का उपयोग करके महिलाओं द्वारा सिल-बट्टा पर बनाए गए जैविक स्वाद वाले लवण की 55 किस्मों का उत्पादन करता है। ये लवण न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मालदीव, श्रीलंका, नेपाल और कई अन्य देशों में भी बेचे जाते हैं। हिमफ्ला का सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये है।

उत्पादन और गुणवत्ता का अनूठा मेल

हिमफ्ला के ‘पिस्यू लून’ को पाकिस्तान से प्राप्त हिमालयी गुलाबी सेंधा नमक का उपयोग करके तैयार किया जाता है। यह नमक पूरी तरह से हस्तनिर्मित होता है और इसमें किसी भी मशीनरी का उपयोग नहीं होता। नमक के 55 फ्लेवर तैयार करने के साथ ही कंपनी 40 अन्य फ्लेवर पर भी काम कर रही है। उच्च मांग वाले स्वादों में भांग, लहसुन, अदरक लहसुन, पीली मिर्च और लहसुन-हरा धनिया शामिल हैं।

Women preparing flavoured salts on sil-batta at HimFla unit
Women preparing flavoured salts on sil-batta at HimFla unit

विविधतापूर्ण पैकेजिंग

यह नमक 100 ग्राम, 200 ग्राम, 500 ग्राम और 1 किलो के पैकेज में उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत 800 रुपये से 1500 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है।

महिला सशक्तिकरण और किसानों का सहयोग

हिमफ्ला में महिला श्रमिकों की भूमिकाएं विविध और महत्वपूर्ण हैं। एक टीम लहसुन, जीरा, धनिया और अन्य मसालों को छीलकर धोती है, दूसरी टीम उन्हें सिल-बट्टे पर पीसती है। गुणवत्ता नियंत्रण के लिए, एक अलग टीम रंग, स्वाद और गंध की संगति सुनिश्चित करती है। निरीक्षण पास करने पर, नमक पैकेजिंग के लिए भेजा जाता है। हिमफ्ला के पास एफएसएसएआई लाइसेंस और आईएसओ प्रमाणन है, जो इसकी उच्च गुणवत्ता की गारंटी देता है।

किसानों को सशक्त बनाना

हस्तनिर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ, हिमफ्ला को कच्चे माल की सोर्सिंग के लिए अपने नेटवर्क का विस्तार करना पड़ा। पहले, कंपनी को पूरे साल के लिए 50 किलो लहसुन की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब उसे 800-900 किलो की आवश्यकता है।

संदीप पांडेय ने उत्तराखंड के 80 गांवों के साथ करार किया है, जहां ग्रामीणों को भांग, पेरिला, तिल, काला जीरा, लहसुन, सिचुआन काली मिर्च, पीली और लाल मिर्च जैसी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह किसानों को सशक्त बनाता है, उन्हें आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।

हिमफ्ला सिर्फ एक स्वादिष्ट उत्पाद नहीं है, यह महिला सशक्तिकरण और किसानों के सहयोग का प्रतीक भी है।

आज, ‘हिमफ्ला’ न केवल उत्तराखंड में, बल्कि पूरे भारत में ‘पिस्यू लून’ का एक प्रसिद्ध ब्रांड बन गया है। 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबार के साथ, यह उद्यम न केवल संदीप पांडेय के लिए सफलता का प्रतीक है, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध खाद्य संस्कृति को भी बचाने में मदद कर रहा है।

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